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हर रात उनके तकिए के नीचे
मेरे सारे कागज़ मुक्कमल होते हैं,
मेरी शायरी, मेरी कविताएं और
उनका जिक्र भी.. दीदार भी..
फिर हम महफ़िल में आए भी तो क्यों?
दुनिया का सारा शोर-शराबा
घर पर ही उनकी चूड़ियां कर देती हैं..!
- ✍ मृदुंग®
kshanatch@gmail.com
+९१ ७३८७९ २२८४३
हर रात उनके तकिए के नीचे
मेरे सारे कागज़ मुक्कमल होते हैं,
मेरी शायरी, मेरी कविताएं और
उनका जिक्र भी.. दीदार भी..
फिर हम महफ़िल में आए भी तो क्यों?
दुनिया का सारा शोर-शराबा
घर पर ही उनकी चूड़ियां कर देती हैं..!
- ✍ मृदुंग®
kshanatch@gmail.com
+९१ ७३८७९ २२८४३
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