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Saturday, October 20, 2018

#फ़िक्र..! :-)




#फ़िक्र..!

लिखते बैठता हूं कुछ ना कुछ
तब तुम्हारा खयाल आता हैं,
लिखूं ना लिखूं सोचता हूं और
मेरी कलम रुक सी जाती हैं,
किस्से तो कई ख़तम हो गए
कागज़ के दो हिस्से हो गए हैं,
हम अपने थे अब पराए हो गए
गलत से सारे हिसाब हो गए हैं,
जब लोग सवाल पूछते है तब
हम मायूस सा जवाब दे देते हैं,
ज़िक्र होता है तुम्हारा मैफिल में
हमें हमारी फ़िक्र तब होती हैं..!
- ✍ मृदुंग®
kshanatch@gmail.com
+९१ ७३८७९ २२८४३

Friday, October 19, 2018

उसने बताया..! :-)



#उसने_बताया..

शीशे का गुरुर तब तबाह हुआ
जब बैर किसी पत्थर से लिया,
हर पत्थर तब मौम बन गया
जब अश्क-ए-दिल से बह गया,
गौर करो, ना करों मेरी बातों पर
मैं सिर्फ अल्फ़ाज़ समेट गया,
कल मेरे इन पुराने पन्नों पर
धूल कुछ ज्यादा ही थी, उसने बताया..!
- ✍ मृदुंग®
kshanatch@gmail.com
+९१ ७३८७९ २२८४३