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Sunday, August 2, 2020

ए_जिन्दगी..!



ए_जिन्दगी..!
कागज़, कलम, स्याही,
कुछ पुराने किस्से और
बंद दराजों के कई हिस्से;
जिनके सीने में दफन हैं..
कई राज, इश्क, नफरत
और दुनिया की रंजिशे..
आख़िर में किताबों के,
चंद पन्ने जिनपर लिखा हैं..
तुम., तुमसे., तुम्हारे लिए'
ऐसे दोस्त भी अब काफी
पुराने हो गए हैं ए_जिन्दगी..!
- ✍ मृदुंग®
kshanatch@gmail.com
+९१ ७३८७९ २२८४३

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