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Tuesday, March 10, 2015

खेल..! :-)


♥ क्षण..! ♥

खेल..!

जैसा तुने सोचा था ए जिन्दगी
इस खेल नें हैं अब नया मोड लिया,
तू खेल रहीं थीं अपनेहीं ढंग से
और मेरे मिजास नें नया मोड लिया..!

ना! ना! इतनी आसानी से नहीं
बडे इत्मिनान से रिश्ता तोड लिया,
चल तू भी क्या याद करेगी मुझे
मैंने हर शख्स से वास्ता तोड लिया..!

अब उमिदों पर कोई सोच ना रख
मैदान-ए-जंग तेरे फरिश्तों ने छोड लिया,
जिनके दम पर इतरा के आयें थेंs
उस शख्सियत को जज्बातों ने छोड लिया..!

भागते वक्त के साथ मैंने दौड लिया
थां किसी का मैंने अपना खेल खेल लिया,
अब अंजाम क्या और रंजीश क्या
ख्वाईशों को मेरी मैंने हर तरहा जी लिया..!
------------------ मृदुंग™
kshanatch@gmail.com

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