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Monday, August 18, 2014

चाहता हुं..! :-)

क्षण..!

चाहता हुं..!

अब फिर कोई बरसात ना हो
किसीसे कोई मुलाकात ना हो,

बिछड जायें अपनेही भिड में
ऐसी मेरी फिर हैसीयत ना हो,

वजुद से मेरे करवट बदल लें
ऐसी कोई भी आधीरात ना हो,

जिन्दगी गुलजार सी मांग'कर
परेशानीयों की शिकायत ना हो,

आज भी फिर मुहोब्बत ना हो
के इस दिलमें कोई चाहत ना हो,

क्यों करुं सांसों से इबादत मैं
जब कोई अपना सलामत ना हो..!
------------------ मृदुंग
kshanatch@gmail.com

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