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Friday, January 23, 2015

गुडिया..! ^_^

क्षण..!

गुडिया तेरे लियें..!

याद हैं मुझे उनके चेहरे का खिल उठना, अपने नाजुक ओठोंसे हर एक निवाला बडी खुशीसे चट् करना, बडी देर लगाता हूं मैं इसलीये उनका चिल्लाना, पकाकर परोस भी दिया तो, उनका रुक जा ना, पेहला निवाला अपने हातोंसे ही भरवावो, उनका वो जिद करना... याद हैं मुझे.. डायनिंग पर उनका पास आना शरारत कर खिलखिला कर तारीफोंके पुल बांधना, उनकी बातोंसे खाना और भी लजीज हो जाता था, बडी बेरुखी किस्मत पे मेरी हाय मैं मर जावू केहना, खुदकी बातोंसे खुदही शरमाना, बडे जालीम हों इलजाम हमें लगाना, कभी कबार कुछ पल जी लेतें हम भी अक्सर यादों में वो रहते हैं और झुटी हकिकतें हम बयां करते हैं, आज भी उनसे हद से ज्यादा प्यार करतें हैं... बस वो समझ नहीं सकतें और हम समझा नहीं सकतें, आंख भरकर दुरसे एकदुसरे को देख लेते हैं और मैखाने के चुल्हे पर दुनिया को जला जाते हैं...!
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© मृदुंग

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