!...वो मैं एक याद हूं...!
भुलना चाहती हो जिसे
वो मैं एक याद हूं
बेगाना समझती हैं दुनिया
वो मैं एक याद हूं
जीना चाहता हैं हर कोई
वो मैं एक याद हूं
लहेरोंकी लहरोंपे सवार
वो मैं एक याद हूं
फुलोंकी खुशबू में कैद
वो मैं एक याद हूं
बसेरा हैं जहा ख्वाबोंका
वो मैं एक याद हूं
पायल की खणक हैं जो
वो मैं एक याद हूं
तकती हैं मेरी राह नजरे
वो मैं एक याद हूं
भुलकर भी भुल ना पावो
वो मैं एक याद हूं
ढुंढती हो जहा जाहा वजूद
वो मैं एक याद हूं
कायनात भी कभी शर्म करे
वो मैं एक याद हूं
चलता जाये कदमोंका रास्ता
वो मैं एक याद हूं
मुसाफीर कहते हैं जन्नत मुझे
वो मैं एक याद हूं
तुम में बसी बेबसी आसुवोंकी
वो मैं एक याद हूं
लिपटे हुये उस बदन की मेहेक
वो मैं एक याद हूं
सहारा लेती हैं पलके जिनका
वो मैं एक याद हूं
एहसास मेहसूस होता हैं जब भी
वो मैं एक याद हूं
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© मृदुंग
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